Author Archives: sw anand prashad

About sw anand prashad

ओशो की किरण जीवन में जिस दिन से प्रवेश की, वहीं से जीवन का शुक्‍ल पक्ष शुरू हुआ, कितना धन्‍य भागी हूं ओशो को पा कर उस के लिए शब्‍द नहीं है मेरे पास.....अभी जीवन में पूर्णिमा का उदय तो नहीं हुआ है। परन्‍तु क्‍या दुज का चाँद कम सुदंर होता है। देखे कोई मेरे जीवन में झांक कर। आस्‍तित्‍व में सीधा कुछ भी नहीं है...सब वर्तुलाकार है , फिर जीवन उससे भिन्‍न कैसे हो सकता है। कुछ अंबर की बात करे, कुछ धरती का साथ धरे। कुछ तारों की गूंथे माला, नित जीवन का सिंगार करे।।

एस धम्मों सनंतनो–(भाग–01)

एस धम्मो सनंतनो भाग—1 -ओशो *** (बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर दिए गए’ दस अमृत प्रवचनों का संकलन) बुद्ध ऐसे हैं जैसे हिमाच्छादित हिमालय। पर्वत तो और भी हैं, हिमाच्छादित पर्वत और भी हैं, पर हिमालय अतुलनीय है। उसकी … पढना जारी रखे

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एस धम्मो सनंतनो -(भाग—1)

  (बुद्ध की सुललित वाणी धम्मपद पर दिए गए’ दस अमृत प्रवचनों का संकलन) बुद्ध ऐसे हैं जैसे हिमाच्छादित हिमालय। पर्वत तो और भी हैं, हिमाच्छादित पर्वत और भी हैं, पर हिमालय अतुलनीय है। उसकी कोई उपमा नहीं है। हिमालय … पढना जारी रखे

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स्‍वामी देव तीर्थ भारती—

जन्‍म संबोधी महा समाधि 1908 प्रभात: 8 सितंबर 1979 संध्‍या: 8 सितंबर 1979 स्‍वामी देव तीर्थ भारती भगवान श्री रजनीश (ओशो) के पिता श्री रजनीश आश्रम में संन्‍यासियों के लोप प्रिय, प्रेम-भरे दद्दा जी। ऐसे तो जन्‍मे थ टिमरनी में … पढना जारी रखे

दद्दा जी-- में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे